राष्ट्र के गौरव (Rāṣṭra Ke Gaurava)

जगराम (Jagarama Simha) सिह

EPUB
ca. 46,75
Amazon iTunes Thalia.de Weltbild.de Hugendubel Bücher.de ebook.de kobo Osiander Google Books Barnes&Noble bol.com Legimi yourbook.shop Kulturkaufhaus ebooks-center.de
* Affiliatelinks/Werbelinks
Hinweis: Affiliatelinks/Werbelinks
Links auf reinlesen.de sind sogenannte Affiliate-Links. Wenn du auf so einen Affiliate-Link klickst und über diesen Link einkaufst, bekommt reinlesen.de von dem betreffenden Online-Shop oder Anbieter eine Provision. Für dich verändert sich der Preis nicht.

Kalpaz Publications img Link Publisher

Beschreibung

अतीत से वर्तमान का भाग्य सूर्य प्रखर तेजस्वी होता है। भविष्य के सपनों को गगनचुम्बी उड़ान भरने हेतु सशक्त, सुदृढ़ परों की उपलब्धि होती है। विजयशाली, गौरवशाली इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षर बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। किसी भी जीवंत समाज के उत्थान-पतन का माध्यम या कारण होता है। आदर्शों से प्रेरणा लेकर तिनके का सहारा, टिमटिमाते दीप का संबल, सटीक दिशावलोकन करते प्रायः देखा जाता है। भविष्य के ताने-बाने को बुनने का संयंत्र अनुभव प्रतीत होता है। सपनों को साकार करने का आधार निर्माण होने लगता है। संघर्ष की शिखा से सर्वस्व न्योछावर की गूंज सुनाई देने लगती है। शोणित की सरिता सराबोर अनुमोदन अंतःकरण को आह्लादित करता परिलक्षित होता है। युवानी को जंगल बनाने की ताबड़तोड़ होड़ मानो क्षितिज को लांघने का वामन अनुष्ठान साफ्ल्य को प्राप्त होने लगता है। सर्वत्र त्याग, समर्पण, आत्मोत्सर्ग का बोलवाला मानो गगन को निगलने हेतु मुंह फैलाने लगता है। ऐसा निरा, निष्कपट, निश्छल भक्ति से ओतप्रोत सुदीर्घ पंक्तिबद्ध, अविराम परम्परा सीमाओं पर भूंकने वाले श्वानों की टोली को भयाक्रांत कर बंदिनी मातृभूमि को घोर कारा की यातना से मुक्ति के अभियान को गौरव प्रदान करने वाले गौरवशाली, स्वाभिमानी कालखण्ड के श्रीचरणों में जीवन सुमन भेंट रूपी उदात्त भाव की झांकी प्रस्तुत है।

Weitere Titel von diesem Autor
जगराम (Jagarama Simha) सिह
जगराम (Jagarama Simha) सिह
जगराम (Jagarama Simha) सिह
जगराम (Jagarama Simha) सिह
जगराम (Jagarama Simha) सिह
जगराम (Jagarama Simha) सिह
जगराम (Jagarama Simha) सिह
Weitere Titel in dieser Kategorie

Kundenbewertungen