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Aatmanepad

Laxmikant, Dr. Pandey

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Geisteswissenschaften, Kunst, Musik / Allgemeine und Vergleichende Literaturwissenschaft

Beschreibung

‘नवनिकष’ पत्रिका का प्रकाशन जुलाई 2007 से कानपुर से हो रहा है। अपने पन्द्रह वर्ष पूरे कर रही पत्रिका व स्थायी स्तम्भ ‘आत्मनेपद’ पत्रिका की दृष्टि और दिशा को स्पष्ट करता है। ‘नवनिकष’ में सम्पादकीय ‘आत्मनेपद’ शीर्षक से उसके सम्पादक डॉ. लक्ष्मीकान्त पाण्डेय द्वारा प्रवेशांक से ही लिखे जाते रहे हैं। एक पृष्ठ के ये ‘आत्मनेपद’ नवनिकष के पाठकों में बहुत लोकप्रिय रहे। अधिकांश पाठकीय टिप्पणियाँ इस सन्दर्भ में नवनिकष को मिलती रहीं। ‘आत्मनेपद’ सीधी-सादी चुटीली भाषा में विमर्श के द्वार भी खोलते रहे हैं। जब उनकी संख्या बढ़ गयी तो पाठकों ने उन्हें संरक्षित कर पुस्तकाकार रूप में प्रस्तुत करने का आग्रह किया किन्तु लेखक की उदासीनता या व्यस्तता बाधक बनी रही। विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों नवनिकष के पाठकों का आग्रह बढ़ता गया। उसका कारण है पत्रिका का सम्पादकीय जहां पिष्टपेषण हो जाते हैं क्योंकि बार-बार तिथि पर्वों की पुनरावृत्ति होती है, वहीं नवनिकष के आत्मनेपद में समय की पुनरावृत्ति तो हुई है, पर दृष्टिकोण बदल गया है। हर बार एक नये टटकेपन के साथ-लोक की चित्तवृत्ति को विश्लेषित किया गया है। पर्व, त्यौहार, वर्ष, दिवस, जयन्तियाँ या राजनीतिक परिवर्तन महत्वपूर्ण नहीं हैं। ये हर वर्ष आते हैं और उन पर सम्पादक ने विचार व्यक्त किये हैं, जैसी साहित्यिक पत्रिकाओं की परम्परा है, पर विशेषता यह है कि इन पन्द्रह वर्षों में हम कितना बदले हैं, आत्मनेपद उस समाज को केन्द्र में रखता है। इसलिए हर बार कुछ नया चिन्तन, नयी सोच हमें झकझोरती है।

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